रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। Your browser isn’t supported any longer. https://hanuman-chalisa-lyrics50513.wikievia.com/9941252/hanuman_chalisa_lyrics_for_dummies