कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।। Your https://shivchalisas.com