ॐ गुरु जी कहे, चेला सुने, सुन के मन में गुने, नव ग्रहों का मंत्र, जपते पाप काटेंते, जीव मोक्ष पावंते, रिद्धि सिद्धि भंडार भरन्ते, ॐ आं चं मं बुं गुं शुं शं रां कें चैतन्य नव्ग्रहेभ्यो नमः वज्र पानी पिबेच्चांगे डाकिनी डापिनी रक्षोव सर्वांगे। The repetitive nature of chanting https://vashikaran22333.designi1.com/56290523/bhairavi-options